पूरा विश्व आज एड्स को लेकर चिंतित है बहुत से ऐसे भी व्यक्ति है जो एड्स के साथ जी रहे है लेकिन उन्हे अभी भी इसका पता नहीं है । इसलिए 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है ।
आज भी हो रही है वैक्सीन की खोज-
बेहद रिसर्च और खोज के बाद अभी भी एड्स को लेकर कोई उपाय नहीं निकाला जा सका है। कोई अभी भी ऐसा टीका या वैक्सीन नहीं बन पाया है जिसको लेकर एचआईवी को जड़ से खत्म किया जा सके। लेकिन यह जरूर है कि बाजार में ऐसी कई दवाइयां उपलब्ध हो चुकी है जिनका प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति एचआईवी पर कुछ हद तक नियंत्रण पा सकता है। एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की उमर को बढ़ाया जा सकता है उनको अगर अच्छा इलाज और सभी हेल्प दी जाए तो इस बीमारी पर काबू पाना आसान हो जाता है लेकिन फिर भी इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को एड्स होने से बच पाना मुश्किल है।
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एड्स नामक भयावह बीमारी के लिए सालों से कई वैज्ञानिक कार्य में लगातार प्रयासरत है कि कब इसको वैक्सीन से मात देकर खत्म किया जा सके, लेकिन हम आपको बता दें कि आज तक इसकी अभी कोई वैक्सीन या टीका नहीं बन पाया हैं जिसके द्वारा एक ही बार में इस बीमारी को खत्म किया जा सके ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है एड्स-
जब किसी व्यक्ति को एडस नामक बीमारी हो जाती है तो सबसे पहले उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को वह कमजोर बना देता है । जैसे ही बीमारी का संक्रमण शुरू होता है एड्स के एचआईवी वायरस का प्रभाव जब बॉडी पर पड़ता है तो यह हर बार अपना नया तरीका नया लक्षण प्रस्तुत करता है यही कारण है किअनिश्चितता सफलता में बाधक बन रही है और वैक्सीन की अनुपलब्धता आज भी कायम है।
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बहुत ही घातक बीमारी है एड्स-
दुनिया भर में विश्व एड्स वैक्सीन दिवस के रूप में 18 मई को बहुत ही जागरूकता के साथ मनाया जाता है इस दिन का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि एड्स को लेकर जागरूकता फैलाना और इसकी एचआईवी वैक्सीन को लेकर लोगों में सजगता को बढ़ावा देना ,अशिक्षित परिवारों में दूर दराज गांवों में आज भी लोग इसके बारे में ठीक से नहीं जानतेहै। उनमें आज भी जागरूकता की कमी है,उसको देखते हुए आज भी 18 मई के दिन विश्व एड्स वैक्सीन दिवस के नाम से लोगों को जागरूक करने का काम पूरी तन्मयता के साथ किया जाता है ताकि इसके बारे में सभी जाने और कभी भी इस प्रकार की कोई समस्या उनके सामने ना आए क्योंकि यह बहुत ही घातक बीमारी है, जानलेवा बीमारी है, इसके हो जाने पर बहुत ही सावधानी रखने पर ही इससे निजात पाई जा सकती है अन्यथा की स्थिति में कुछ भी हो सकता है।
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1988 का पुराना इतिहास –
वैक्सीन न बनने के बावजूद एड्स वैक्सीन दिवस को मनाने का श्रेय राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को जाता है जो अमेरिका के राष्ट्रपति थे । उन्होंने अपने एक स्पीच के दौरान इस बीमारी के वैक्सीन बनाने पर जोर दिया था । उसके प्रति रोगप्रतिरोधक क्षमता को डेवलप करने पर जोर दिया था और इन्होंने यह भाषण 18 मई 1988 को अमेरिका में दिया ,वहीं से इस दिन को मनाने की परंपरा चली आ रही है ।
WHO के द्वारा प्रस्तुत किया गया आंकड़ा –
अब तक एड्स के कारण कुल 40.1 मिलियन लोगों की जान जा चुकी है। लगभग 38.4 मिलियन लोग एचआईवी से ग्रसित थेऔर यह डाटा सन 2021 का है इसमें से 25.6 मिलियनअफ्रीकी क्षेत्र केहैं। इसकी जागरूकता को फैलाने और जगह-जगह पर इसको लेकर कार्यक्रम किए जाने में जो अग्रणी भूमिका निभाता है वह है नेशनल इंस्टीट्यूट आफ एलर्जी और इनफेक्शियस डिसीज ।
इस दिन हम जो लोग, विश्व एड्स वैक्सीन दिवस के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करते हैं या उससे किसी प्रकार से जुड़े हुए हैं जैसे स्वयंसेवक, वैज्ञानिक जो इसकी खोज में निरंतर अपना समय दे रहे है , स्वास्थ्य पेशेवर जो इससे ग्रसित व्यक्तियों की मेडिकल हेल्प कर रहे हैं एडस से जुड़ा हुआ कोई ऐसा समुदाय जो लोगों की हेल्प के प्रति जागरूक करता है आदि सभी के लिए जो इस कार्यक्रम में या इस काम में भाग लेते हैं उन सभी का धन्यवाद करने का भी यह दिन है ताकि यह सभी प्रेरित रहकर अपना काम निरंतर आगे बढ़ाते रहें और सफलता की ओर बढ़ते रहे।
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