8 ऐसे देवी मंदिर जहां नवरात्र पर शुरू होती है सबसे बड़ी पूजा चलिए इसके बारे मे जानते है।
1. शीतला देवी मंदिर, जमशेदपुर-
यह मंदिर जमशेदपुर, झारखंड में स्थित है और माँ शीतला देवी को समर्पित है। यहां के मंदिर के पीछे का इतिहास उसकी प्राचीनता, स्थानीय धार्मिक मान्यताओं, और विशेष आराधना के कारण महत्वपूर्ण है।
बनावट- यह मंदिर उत्कृष्ट मार्मिक कला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसका विशेष रूप स्थलीय कलाकारों द्वारा बनाया गया है। गया है | निर्माण- शीतला देवी मंदिर का निर्माण श्री रामचंद्र मांगलिक ने 1910 में किया था। देवी की पूजा- मंदिर में मां शीतला की पूजा की जाती है, जो जल और रोगनाशक देवी मानी जाती हैं। संबंधित इतिहास-
मंदिर में मां शीतला के अलावा भगवान शिव, हनुमान, गणेश, राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। मान्यता है कि मां शीतला रोगों को दूर करती हैं और अपने भक्तों को सुरक्षित रखती हैं।
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गुप्त तथ्य-
मंदिर के कई गुप्त तथ्य हैं, जैसे कि कई ऐसी पौराणिक कथाएं जो स्थानीय लोगों के बीच चली आ रही हैं। इसके अलावा, आध्यात्मिक अनुभव और संघर्षों की कहानियाँ भी हैं, जो मंदिर के अंदर छिपी हैं।
2. श्री मां चिंतपूर्णी सिख टेंपल, पुणे-
यह सिक्ख टेंपल पुणे, महाराष्ट्र में स्थित है और यह वहां के इस समुदाय के धार्मिक आदर्शों को प्रतिष्ठित करता है। इसके पीछे का इतिहास सिक्ख धर्म की महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक विरासत का हिस्सा है।
बनावट- यह मंदिर एक प्राचीन भारतीय स्थापत्यकला का उदाहरण है और इसकी भव्य बनावट आकर्षक है।
निर्माण-
श्री मां चिंतपूर्णी टेंपल का निर्माण झारखंड के राजा विष्णु देव सिंह ने करवाया था। इसका निर्माण करीब 400 वर्ष पहले हुआ था।
- कलाकृति-
इस मंदिर का निर्माण अत्यंत उत्तम कलाकृति के आधार पर किया गया है। यह मंदिर हिंदू शैली में बनाया गया है।
- देवी की पूजा–
इस मंदिर में मां चिंतपूर्णी की पूजा होती है, जो संकटों को दूर करने वाली देवी मानी जाती हैं।
- इतिहास-
मंदिर के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। इसे निरंतर विकसित किया जाता रहा है और यह अब एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है।
- गुप्त तथ्य-
मंदिर के पीछे कई गुप्त तथ्य हैं, जिनमें स्थानीय लोगों की कहानियाँ, विशेष घटनाएं और चमत्कारिक घटनाएं शामिल हैं।
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3. शक्ति मंदिर,राणसी-
यह मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है और माँ शक्ति को समर्पित है। इसके पीछे का इतिहास उसकी प्राचीनता, शाक्त सम्प्रदाय के धार्मिक आदर्शों, और उसके महत्वपूर्ण आराधना के कारण महत्वपूर्ण है।
- बनावट-
शक्ति मंदिर की बनावट बड़ी आकर्षक है और इसकी स्थापत्यकला अद्भुत है। इसके निर्माण के बाद इसकी शिल्पकला और वास्तुशास्त्र को और विकसित किया गया है।
- निर्माण-
इस मंदिर का निर्माण सन् 1835 में महारानी शांति देवी के द्वारा कराया गया था।
- कलाकृति-
इस मंदिर का निर्माण हिंदू शैली में किया गया है और इसमें वाराणसी की स्थानीय शैली का प्रभाव दिखता है।
- देवी की पूजा-
शक्ति मंदिर में मां दुर्गा की पूजा होती है, जो शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं।
- इतिहास- मंदिर का निर्माण शांति और खुशहाली के लिए किया गया था और यह आज भी विश्वास के साथ भक्तों को आकर्षित करता है। गुप्त तथ्य-
इस मंदिर के पीछे कई गुप्त तथ्य हैं, जो इसके इतिहास से जाने जा सकते हैं । इसका निर्माण उस समय की संस्कृति और आध्यात्मिक विश्वासों को प्रतिबिम्बित करता है।
4. त्रिलोकपुर मंदिर, हिमाचल प्रदेश-
- बनावट-
त्रिलोकपुर मंदिर का निर्माण पहाड़ी शैली में किया गया है और इसकी बनावट महान है। यह मंदिर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
- निर्माण-
त्रिलोकपुर मंदिर का निर्माण महाराज रंजीत सिंह द्वारा 16वीं सदी में कराया गया था।
- कलाकृति-
इस मंदिर की बनावट पहाड़ी स्थापत्यकला के अनुसार है और यह राजपूत शैली का प्रतीक है।
- देवी की पूजा-
त्रिलोकपुर मंदिर में मां महाकाली की पूजा होती है, जो शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं।
- इतिहास-
मंदिर का निर्माण राजा रंजीत सिंह द्वारा धार्मिक महत्व के लिए किया गया था और यह आज भी उसी पवित्रता और महिमा को दर्शाता है।
- गुप्त तथ्य-
इस मंदिर से जुड़े कई गुप्त तथ्य हैं, जो इसके इतिहास को और भी रोचक बनाते हैं। इसका निर्माण राजस्थानी संस्कृति और विश्वासों को प्रतिबिम्बित करता है।
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5. श्री मुंबा देवी टेंपल, मुंबई-
यह मंदिर मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है और माँ मुंबा देवी को समर्पित है। इसका पीछे का इतिहास उसकी प्राचीनता, स्थानीय धार्मिक मान्यताओं, और भक्तों के आध्यात्मिक भावनाओं के आदर्शों आदि का वर्णन करता है |
- बनावट-
श्री मुंबा देवी टेंपल का निर्माण उत्तर भारतीय शैली में किया गया है। इसकी बनावट गुजराती संस्कृति का प्रतीक है।
- निर्माण-
टेंपल का निर्माण नागर राजा भीमदेव ने 12वीं सदी में करवाया था।
- कलाकृति-
यह टेंपल नागर शैली में बनाया गया है और उत्तर भारतीय कलाकृति का प्रतिबिम्ब है।
- पूजा-
इसमें मां मुंबा देवी की पूजा होती है, जो स्थानीय लोगों की प्रमुख देवी मानी जाती हैं।
- इतिहास-
मुंबा देवी टेंपल का निर्माण भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक ऐतिहासिक परंपरा को दर्शाता है और यहां पर सालाना लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- गुप्त तथ्य-
इस मंदिरसे जुड़े कई गुप्त तथ्य हैं, जिनमें स्थानीय लोगों की मान्यताओं और रहस्यों का उल्लेख है। इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं जो इसे और भी प्रसिद्ध बनाती हैं।
6.कालीघाट मंदिर-
- स्थान-
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- इतिहास-
कालीघाट मंदिर एक प्रमुख शक्तिपीठ है और भगवती काली की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण 19वीं सदी में हुआ था।
- बनावट-
कालीघाट मंदिर का निर्माण उत्तर भारतीय शैली में किया गया है। इसकी बनावट बंगाली संस्कृति के प्रतीक है।
- निर्माण-
मंदिर का निर्माण नवाब राजा बिजय चंद्र ने 19वीं सदी में करवाया था।
- कलाकृति-
यह मंदिर बंगाली शैली में बनाया गया है और पश्चिम बंगाल की कलाकृति का प्रतिबिम्ब है।
- पूजा-
इसमें मां काली की पूजा होती है, जो काली देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- इतिहास-
कालीघाट मंदिर का निर्माण भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक ऐतिहासिक परंपरा को दर्शाता है और यहां पर भी लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- गुप्त तथ्य-
इस मंदिर के पीछे कई गुप्त तथ्य हैं, जिनमें स्थानीय लोगों की मान्यताओं और रहस्यों का उल्लेख है। यहां कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं जो इसे और भी प्रसिद्ध बनाती हैं।
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7. वैष्णो देवी मंदिर
- स्थान-
जम्मू, जम्मू और कश्मीर
- इतिहास-
वैष्णो देवी मंदिर हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जो माता वैष्णो देवी को समर्पित है। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- बनावट-
वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण हिमाचली स्थापत्य कला के अनुसार किया गया है। यह मंदिर पहाड़ों के बीच में स्थित है और प्राकृतिक सौंदर्य को महसूस कराता है।
- निर्माण-
मंदिर का निर्माण माता वैष्णवी के भगवान के प्रसाद से हुआ था। कई सालों के बाद, 19वीं सदी में, महाराजा गुलाब सिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
- कलाकृति-
यह मंदिर हिमाचली स्थापत्य कला के अनुसार बनाया गया है और इसमें स्थानीय विशेषज्ञों की कला का प्रयोग किया गया है।
- पूजा-
इस मंदिर में मां वैष्णवी की पूजा होती है, जो शक्ति की देवी हैं।
- इतिहास-
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और लाखों श्रद्धालु यहां प्रतिवर्ष आते हैं। इसकी भव्यता, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं।
- गुप्त तथ्य-
इस मंदिर के पीछे कई गुप्त तथ्य हैं, जिनमें स्थानीय लोगों की मान्यताओं, लोक कथाओं और धार्मिक विश्वासों का उल्लेख है। यहां कई रहस्यमयी कथाएं और पौराणिक विचार हैं जो इसे और भी रहस्यमय बनाते हैं।
8. अंबाजी मंदिर-
- स्थान- गुजरात
- इतिहास- अंबाजी मंदिर गुजरात में आदिशक्ति माँ अंबा की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यहां प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान बहुत बड़ा मेला आयोजित किया जाता है।
- बनावट- अंबाजी मंदिर का निर्माण स्थानीय स्थापत्य कला के अनुसार किया गया है। यह मंदिर सागर किनारे स्थित है और उच्च स्थानीय विशेषज्ञता की प्रतिष्ठा में है।
- निर्माण- इस मंदिर का निर्माण महाराष्ट्र के स्थानीय समाज के द्वारा किया गया था। निर्माण का प्रारंभ 12वीं सदी में हुआ था और इसे समय-समय पर सुधारा गया।
- कलाकृति-
यह मंदिर महाराष्ट्रीय स्थापत्य कला के अनुसार बनाया गया है, जिसमें स्थानीय विशेषज्ञता का उपयोग किया गया है।
- पूजा-
इस मंदिर में शक्ति की देवी अंबाजी की पूजा होती है। वहाँ कई श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते हैं।
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- इतिहास-
अंबाजी मंदिर महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। इसका इतिहास स्थानीय लोगों के धार्मिक और सांस्कृतिक अनुसंधान से भरा हुआ है।
- गुप्त तथ्य-
इस मंदिर के पीछे कई गुप्त तथ्य हैं, जिनमें स्थानीय कथाओं, लोक गाथाओं और पौराणिक विश्वासों का संयोजन कूटकूट कर भरा है।
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