अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पहली बार महिला कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून बनी एएमयू की वाइस चांसलर। 103 साल के इतिहास में पहली बार महिला कुलपति बनी यूनिवर्सिटी के नए वीसी को लेकर एक पैनल बनाया गया था पैनल में प्रोफेसर नईमा खातून भी शामिल रही थी।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास –
1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। एएमयू को मिली पहली महिला वाइस चांसलर प्रोफेसर नईमा खातून के नाम पर राष्ट्रपति ने मोहर लगाई है। 104 साल बाद एमयू को महिला वाइस चांसलर मिली है । अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है । पहली बार महिला को वाइस चांसलर बनाया गया है यह पहला मौका है जब किसी महिला को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर लगाया गया है।
नईमा खातून वहां पर वाइस चांसलर बनाई गई हैं और इससे पहले शायद कभी भी एएमयू के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है यानी हम यह कह सकते हैं कि पहली बार कोई महिला वाइस चांसलर बनी है और इन प्रोफेसर का नाम है नईमा खातून जिनको अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नया वाइस चांसलर बनाया गया है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की नई चांसलर की शैक्षिक पृष्ठभूमि-
पहली महिला वाइस चांसलर, नईमा खातून को 22 अप्रैल को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अगले वाइस चांसलर के रूप में नियुक्ति की गई है। इस नियुक्ति के साथ ही प्रोफेसर खातून सदी से ज्यादा समय बाद इस महान पद को संभालने वाली पहली महिला बन जाती हैं। पहले वह कौशल विकास और करियर नियोजन केंद्र के निदेशक के तौर पर कार्यरत थीं, उसके बाद उसने यूनिवर्सिटी की महिला कॉलेज के प्रिंसिपल का पद भी संभाला है। व उनके पास एक व्यापक शैक्षिक पृष्ठभूमि है, जिससे सबके सामने उनके VC पद के लिए उनकी उम्मीद को जताया जाता है। उनकी व्यापक शैक्षिक अनुभव और महिला शिक्षा में उनके महत्वपूर्ण योगदान इसे और भी मजबूत बनाते हैं।
ओड़िशा की एक दूरस्थ मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाली उन्होंने दिल्ली के डेवलपिंग सोसायटीज के केंद्र में राजनीतिक मनोविज्ञान में अपने काम के लिए सम्मान प्राप्त किया है और वर्तमान में वह एएमयू में कौशल विकास और करियर योजना के केंद्र के निदेशक हैं। उनके शोध योगदान में पुस्तकों के लेखन और अनेक पेपर्स शामिल हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
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