दुर्गा पूजा, चैत्र नवरात्र, पूजन विधि, मुहूर्त, महत्व, रिवाज

1. परिचय-

नवरात्रि एक हिंदू त्यौहार है जिसमे दुर्गा पूजा की जाती है । यह उत्सव वर्ष मे दो बार मनाया जाता है, और चैत्र नवरात्रि उनमें से एक है।
नवरात्रि, हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसमे देवी की शक्ति का आविर्भाव होता है। चैत्र नवरात्रि उत्सव, चैत्र मास में लगातार नौ दिनों तक चलता है। इस अवसर पर भक्त देवी की पूजा और भजन-कीर्तन के माध्यम से उनका स्मरण करते हैं।

2. दुर्गा पूजा का मुहूर्त-

इस बार चैत्र मे 9 अप्रैल 2024, को नवरात्रि का त्यौहार शुरू हो चुका है | चैत्र शुक्ल नवमी का मुहूर्त पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आपके पूजा करने का सही समय सुबह 6:01 बजे से 6:46 बजे तक का है। कलश स्थापना का भी शुभ मुहूर्त यही है। इसके अलावा, आपको किसी पंडित या ज्योतिषी से पूर्व जानकारी लेना चाहिए ताकि समय के अनुसार आपकी पूजा सम्पन्न हो सके |

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3. नवरात्र पर्व का नक्षत्र-

9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्र का त्योहार रेवती और अश्विनी नक्षत्र मे पड़ रहा है।

4. दुर्गा जी की पूजा के हिसाब से – 

| Days | Dates  | देवी नाम  | मंत्र आवाहन से संबंधित |

|– |———-|————-|————————|

| 1 | 9/04/24  | शैलपुत्री | ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः |

| 2 | 10/04/24 | ब्रह्मचारिणी | ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः |

| 3 | 11/04/24 | चंद्रघंटा | ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः |

| 4 | 12/04/24 | कूष्माण्डा | ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः |

| 5 | 13/04/24 | स्कंदमाता | ॐ देवी स्कंदमात्र्यै नमः |

| 6 | 14/ 04/24  | कात्यायनी | ॐ देवी कात्यायन्यै नमः |

| 7 | 15/04/24 | कालरात्रि | ॐ देवी कालरात्र्यै नमः |

| 8 | 16/04/24 | महागौरी | ॐ देवी महागौर्यै नमः |

| 9 | 17/04/24 | सिद्धिदात्री | ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः |

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5. नौ देवियों का विवरण: –
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  • 1. शैलपुत्री-

– पहनावा: चंद्रमा के समान पीले वस्त्र में रत्न, बाले और गजरे व ध्वज को धारण करती हैं।
– विशेषता: वह माता पार्वती की पुत्री हैं और पर्वत राजा हिमालय की पुत्री हैं।
– महत्व: इनका महत्व पर्वत और प्रकृति के प्रति स्नेह को दर्शाने में है, जिससे वे जीवन के सभी पहलुओं में सहायक होती हैं।
– मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

  • 2. ब्रह्मचारिणी-

– पहनावा: स्वच्छ वस्त्रों में त्रिशूल और कमल को धारण करती हैं।
– विशेषता: वह संतान की इच्छा पूर्ति की देवी मानी जाती हैं।
– महत्व: इनकी पूजा से संतान प्राप्ति का स्वप्न साकार होने लगता है और संतान रत्न की प्राप्ति होती है।
– मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

  • 3. चंद्रघंटा-

– पहनावा: चंद्रमा के समान सुंदर मुख व दस हाथों के विशाल रूप के साथ त्रिशूल धारण करती हैं।
– विशेषता: उनके चेहरे पर चंद्रमा की किरणों जैसा तेज होता है।
– महत्व: इनकी पूजा से शत्रुओं और बुऋ शक्ति से रक्षा होती है और विजय की प्राप्ति होती है।
– मंत्र: ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥

  • 4. कूष्माण्डा-

– पहनावा: चंद्रमा के समान पीले वस्त्रों में बैठी हुई, एक हाथ में शंख और दूसरे में चामुंडेश्वरी का मांस धारण करती हैं।
– विशेषता: उनकी कृपा से जगत के उत्पादन और संरक्षण की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती रहती है।
– महत्व: इनकी पूजा से सभी संभव उत्पादनों को विकसित किया जा सकता है और बड़ी सफलता तक पहुचाय जा सकता है।
– मंत्र: ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

  • 5. स्कंदमाता-

– पहनावा: गाजरी रंग के वस्त्रों में बैठी हुई, एक हाथ में लोहे की झूला और दूसरे में लाल रंग का लौहदंड धारण करती हैं।
– विशेषता: वे अपने भक्तों को सभी सुख और संपत्ति प्रदान करती हैं।
– महत्व: इनकी पूजा से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और समृद्धि प्राप्त होती है।
– मंत्र: ॐ देवी स्कंदमात्र्यै नमः॥

  • 6. कात्यायनी-

– पहनावा: भगवा रंग का वस्त्र पहनती हैं और त्रिशूल धारण करती हैं।
– विशेषता: वे अपने भक्तों की लगन को बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
– महत्व: इनकी पूजा से सभी कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है और समस्त मानव समाज उनकी कृपया से ओत प्रोत रहता है।
– मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

  • 7. कालरात्रि-

– पहनावा: काले वस्त्रों को धारण करती हैं और दस हाथों में शूल, खड़ग, कमल, घंटा, झाला, डंड, खप्पर, चक्र, त्रिशूल और तम्बूल धारण करती हैं।
– विशेषता: उनकी आँखें लाल होती हैं और उनका चेहरा भयानक होता है।
– महत्व: इनकी पूजा से भक्तों को अपने शत्रुओं से मुक्ति मिलती है जिससे धर्म और नैतिकता की रक्षा होती है।
– मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥

  • 8. महागौरी-

– पहनावा: स्वच्छ सफेद वस्त्र पहनती हैं और तीन आँखों वाले रूप के साथ चांद्रमा को धारण करती हैं।
– विशेषता: उनके चेहरे का रूप संतोष, शांति और संजीवनी प्रदान करने वाला होता है।
– महत्व: इनकी पूजा से भक्तों को बुद्धि और ध्यान की शक्ति प्राप्त होती है और उन्हें दुःख और दु र्भाग्य से मुक्ति मिलती है।
– मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

  • 9. सिद्धिदात्री-

– पहनावा: सोने के वस्त्र को धारण करती हैं और चांदी की माला को धारण करती हैं।
– विशेषता: उनके एक हाथ में शंख और दूसरे में चक्र होता है।
– महत्व: इनकी पूजा से भक्तों को सफलता और सिद्धि की प्राप्ति होती है और उन्हें सभी प्रकार के आशीर्वाद मिलते हैं।
– मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

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]6. नवरात्र उत्सव का इतिहास और महत्व-

नवरात्रि का पर्व विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। इस अवसर पर मां दुर्गा की पूजा का महत्व है, जिसका इतिहास नवरात्रि और दुर्गा पूजा का प्रारंभ वैदिक समय से है। इसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख किया गया है। इसका महत्व विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में माना जाता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य दुर्गा देवी की आराधना और शक्ति के प्रति भक्ति को बढ़ावा देना है। इस उत्सव का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से विशेष है। दुर्गा पूजा का प्रारंभ प्रतिवर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष को होता है, जो अक्टूबर या नवम्बर के माह में पड़ता है। यह उत्सव नारी शक्ति की महत्ता को प्रकट करता है और समाज में उत्साह और समृद्धि का संदेश देता है।
– इस उत्सव के दौरान जगराते और भजन-कीर्तन कार्यक्रम होते हैं जो भक्तों को संगीत और ध्यान में लीन रखती करते हैं।

7. आधुनिकता और वैज्ञानिक महत्व-

इस त्यौहार का महत्व निम्न बिंदुओं से स्पष्ट होता है-

1. मनोबल बढ़ाना: दुर्गा पूजा में ध्यान और मनोबल का विशेष महत्व है, जो मानसिक स्थिरता और सकारात्मक सोच को बढ़ाता है।
2. तात्कालिक तनाव कम करना: पूजा के दौरान ध्यान और मंत्रजाप से तनाव को कम किया जा सकता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
3. सामाजिक संबंध सुधार: उत्सव के दौरान समाज में एकता और सामंजस्य की भावना बढ़ती है, जो सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
4. विश्वास की शक्ति: धार्मिक आचरण और आदर्शों का पालन करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास और शक्ति बढ़ती है।
5. स्वास्थ्य लाभ: पूजा के दौरान ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
6. नैतिक मूल्यों का प्रचार: युवा पीढ़ी को नैतिकता और धर्म के महत्व को समझाने में दुर्गा पूजा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
7. पर्यावरण संरक्षण: धार्मिक उत्सवों में पेड़ पौधों की रक्षा और प्रकृति का सम्मान करने का संदेश दिया जाता है।
8. सामर्थ्य और विजय की भावना: दुर्गा पूजा का महत्व उत्साह और साहस को प्रोत्साहित करता है, जो समस्त चुनौतियों को विजयी बनाने की प्रेरणा देता है।
9. संगठन क्षमता: उत्सव के आयोजन में संगठन क्षमता का विकास होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सामाजिक और पेशेवर दृष्टि से उपयोगी है।
10. साहित्यिक और कला के विकास: परंपरागत धार्मिक उत्सवों के माध्यम से कला, संगीत, और साहित्य का प्रचार होता है, जो समृद्ध सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

8. प्रमुख दुर्गा देवी भजन और जगराता-

नवरात्रि के दौरान लोग देवी-स्तुति भजन और जगराता करते हैं। जिसमे लोग बहुत से भजन गाकर माता जी मानते है उनमे से कुछ प्रसिद्ध भजन इस प्रकार से है

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  • प्रसिद्ध देवी भजन –

1. “अम्बे तू है जगदम्बे काली” – यह भजन माँ अम्बे को समर्पित है और इसे विभिन्न नवरात्रि जगरातों में गाया जाता है।
2. “चलो बुलावा आया है” – इस भजन में माँ वैष्णो देवी की स्तुति को किया जाता है और यह भजन वैष्णो देवी के मंदिरों में बहुत पसंद किया जाता है।
3. “तू प्यार का सागर है” – यह भजन माँ दुर्गा के गुणों की महिमा गाता है और यह जगरातों में बहुत पसंद किया जाता है।
4. “जय अम्बे गौरी” – यह अम्बे जी की आरती है जिसमे प्रशंसा की जाती है और यह देवी जी के मंदिरों में बहुत विशेषता से गाया जाता है।5. “माँ वैष्णो देवी” – इस भजन में माँ वैष्णो देवी की महिमा का वर्णन किया गया है और यह वैष्णो देवी के मंदिरों में बहुत प्रसिद्ध है।6. “तुम्हे दुर्गा कहा जाता है” – यह भजन माँ दुर्गा को समर्पित है और यह जगरातों में बहुत पसंद किया जाता है।
7. “आजा माँ तेरे अंगना” – इस भजन में माँ दुर्गा के आगमन का स्वागत किया जाता है और यह जगरातों में बहुत प्रसिद्ध है।
8. “जय जगदंबे” – यह भजन माँ जगदंबे की प्रशंसा के लिए गाया जाता है और यह जगरातों में बहुत पसंद किया जाता है।

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9. सारांश –

नवरात्रि उत्सव हमें *धर्म, संस्कृति, और समृद्धि की दिशा में प्रेरित करता है। यह अवसर हमें देवी शक्ति के प्रति आदर और श्रद्धा को बढ़ाने मे मदत करता है।
नवरात्रि, देवी दुर्गा/ की पूजा का महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इस उत्सव के दौरान, नौ दिनों तक नौ रूपों में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान, भक्त भजन-कीर्तन, आराधना, और साधना करते हैं। यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक द्रष्टि के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। रिसर्च से पता चलता है कि भजन और ध्यान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देते हैं और मानसिक स्थिति को सुधारते हैं। यह ध्यान का अभ्यास और मानसिक सामर्थ्य को बढ़ावा देता है, जो युवा पीढ़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

10. लोगों के अन्य सर्वाधिक पूछे जाने वाले विषय

1. “दुर्गा पूजा की विधि”
2. “नवरात्रि के उपाय”
3. “नवरात्रि के भजन”
4. “दुर्गा पूजा का महत्व”
5. “नवरात्रि कब है”
6. “दुर्गा माँ के चमत्कार”
7. “नवरात्रि के पाठ”
8. “दुर्गा पूजा के टिप्स”
9. “नवरात्रि के पांचवे दिन का महत्व”
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