AU पहुँचे कुमार विश्वास, नहीं रुकी तालियां दीक्षांत ग्राउंड पर

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहुंचकर डॉक्टर कुमार विश्वास ने सभी का कविताओं के माध्यम से लोगों का दिल जीत लिया और इस कवि सम्मेलन का आयोजन पुरा छात्र सम्मेलन के दौरान किया गया था इसके विषय में पूरा विवरण अग्रलिखित है।

कवि सम्मेलन का उद्घाटन-

इस कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ,उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और पुरा छात्र संगठन के सचिव डॉक्टर कुमार वीरेंद्र जी ने दीप प्रज्जवलन करके इस कवि सम्मेलन का उद्घाटन किया।

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कुमार जी ने याद किया मालवीय और हरिवंशराय बच्चन जी को –

डॉ कुमार विश्वास की कविताओं के बीच-बीच में उन्होंने कई बेहतरीन बातें बताईं उन्होंने कहा कि अगर भारत के पहले पांच सांस्कृतिक शहरों को ढूंढने के लिए कहा जाए तो उसमें एक नाम इलाहाबाद का भी आता है। उन्होंने कहा कि इस बात पर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि इस परिसर में कभी फिराक घूमते रहे होंगे, मालवीय पढ़ने आए होंगे, हरिवंशराय बच्चन घूमते रहे होंगे उनका कहना था इस परिसर में जब उन्होंने प्रवेश किया उस समय उनके मन का एक अलग ही अनुभव था।

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हास्य का सिलसिला-

इसके बाद एक हास्य कवि सुदीप भोला जी ने अपनी कविताओं को श्रोताओं को सुना कर भावुक कर दिया उन्होंने सुनाया की गौरैया ने अब बागों में आना छोड़ दिया कोयलिया ने भी दहशत में गाना छोड़ दिया वहसी बनकर घूम रहे हैं आज चमन में भावरी ,डर के मारे कईयों ने मुस्काना छोड़ दिया ।

कुमार जी की कविताएं –

कुमार विश्वास जी ने एक और कविता पढ़ी जिसका शीर्षक था कि “तुमको सूचित हो” उन्होंने दीक्षांत ग्राउंड पर कविताएं पढ़ी की यशस्वी सूर्य अंबर चढ़ रहा है तुमको सूचित हो विजय का रथ शपथ पर बढ़ रहा है तुमको सूचित हो ,अवचित पत्र मेरे जो तुमने कभी खोले ही नहीं, उनको समूचा विश्व को पढ़ रहा है तुमको सूचित हो इन कविताओं पर तालियां रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

कटाक्ष-
गजेंद्र प्रियांशु जी ने कटाक्ष करते हुए और आगे भी पढ़ा की ऋतु चली जाएगी फिर से आनी नहीं ,यह जवानी रहेगी जवानी नही, सब्र की एक सीमा होती पिया ,धैर्य की एक सीमा भी होती पिया, हर किसी का तो दिल।आण्डवाणी नहीं।

कविता तिवारी ने भी अपनी पंक्तियों से लोगों को सराबोर और कर दिया उन्होंने पढ़ा की सारी धारा तुम्हारे ही गीत गा रही है लगा तू मधुराम वीणा बजा रही है आ जाओ मंच पर भी आसन लगा लो, देवी सरस्वती मां तुम्हें बुला रही है इसके बाद व्यंग्य कवि गजेंद्र प्रियांशु जी ने सुनाया कि इतने निर्मोही कैसे सज्जन हो गए, किसकी बाहों में जाकर मगन हो गए, लौट करके ना आए परदेस से आदमी ना हुए काला धन हो गए।

कविता तिवारी के अलावा भी कई कवियों ने यहां पर कविताएं पढ़ी इसमें राजीव राज जी ने पढ़ा कि दीप चाहत की समाधि पर जलन आया ,दर्द के गांव में रातों को हंसाने आया, इससे पहले की मेरी सांस की वीणा टूटे जिंदगी तुझे मैं गीत बनाने आया। सिर्फ एक फूल के मानिंद के जिंदगानी है चार-चार रोज से ज्यादा कहानी है गीत मकरंद है महकेंगे हमेशा यारों साज की पंखुरी सूख कर झर जानी है।

कुछ और पंक्तियां पढ़ी गई जिनमें पढ़ा गया कि मीराबाई ने सुनकर एक तारा तोड़ दिया है बांसुरिया ने भी सांसों से रिश्ता तोड़ लिया है तन्हाई में भटक रही बिस्मिल्लाह की शहनाई, बिटिया को पैजानिया मां ने दरकार नहीं दिलाई ,टूट गए विश्वास डरती अपनों की परछाई जो जन्मी नहीं अब तक वह बिटिया घबराई कैसी बेहाई आई कैसी बेहाई है।

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कुमार विश्वास के साथ बीते सुनहरे पल-

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पूरा छात्र सम्मेलन के मध्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया और जिसमें कई मशहूर कवियों ने भाग लिया जिसमें बहुत ही सम्मानित कवियों में गिने जाने वाले कुमार विश्वास जी भी पहुंचे जिन्होंने अपनी पुराने अंदाज में कविताओं का को सुनना शुरू किया और सभी का दिल जीत लिया सभी के मुंह से वाह वाह ही निकलने लगा।

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यह दिल बर्बाद करके इसमें क्यों आवाज करते हो ,कोई कल कह रहा था कि तुम इलाहाबाद रहते हो, कि कैसी शोहरतें मुझको बता कर दी मेरे मौला ,मैं सब कुछ भूल जाता हूं मगर तुम याद रहते हो, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र सम्मेलन के दौरान डॉक्टर कुमार विश्वास जी ने जब इस प्रकार की पंक्तियों का उच्चारण शुरू किया तो पूरा परिसर ही तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा चारों ओर तालियो का शोर ही शोर था।

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