बुद्ध पूर्णिमा को मनाने के कुछ शास्त्र अनुसार तरीके —
बुद्ध पूर्णिमा एक पवित्र त्यौहार है इस त्यौहार को मनाने के लिएआप गरीबों को दान देकर उनकी सेवा भाव कर से सहायता कर सकते हैं, इस दिन सभी व्यक्ति अपने-अपने तरीके से इस त्यौहार को मानते हैं इसी दिन कई व्यक्ति गंगा जैसी पवित्र नदियों आदि में स्नान करने को लेकर शुभ संकेत मानते है । उनका मानना है कि इससे उनके द्वारा किए गए अनुचित कार्यों का प्रायश्चित हो जाता है और उनको उनके सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिलने की निश्चितता रहती है। कुछ लोग इस दिन घड़ा जो पानी से भरा हुआ हो उसको किसी व्यक्ति को दान करने सेअच्छे फलों की प्राप्ति होती है, ऐसा मानते कहीं-कहीं तो विधि विधान से पंडित आदि को बुलाकर सत्यनारायण की कथा आदि का भी कार्यक्रम पूरे विधि विधान से और इच्छा अनुसार करवाया जाता है। लोग इस दिन महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को सम्मुख रखकर पूजा अर्चना और प्रार्थना करते हैं उनको पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हैं।
और पढ़ें – 12 May Special Day, जाने डॉक्टरों और नर्सों के लिए क्यों है ये खास दिन ?
2024 की बुद्ध पूर्णिमा की तिथि-
2024 के कैलेंडर के अनुसार इस बार की इस बार की बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार 22 में शाम के 6 : 47 मिनट पर प्रारंभ होने के बाद इसकी पूजा प्रारंभ की जा सकेगी, फिर 23 तारीख दिन सोमवार को शाम 7:22 तक इसकी पूजा करने का समय रहेगा। इस अवधि के दौरान आप कभी भी पूजा कर सकते हैं और बुद्ध पूर्णिमा के इस त्यौहार को जिसे वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है इसे इस पारंपरिक विधि से मना कर अपने घर में खुशियां जरूर मने लोगों का काफी श्रद्धा भाव और आस्था महात्मा बुद्ध जी से जुड़ी हुई है।
बुद्ध पूर्णिमा को बन रहा है राज भंग योग, ज्योतिष के अनुसार लक्ष्मी जी का ऐसा स्वरूप जिसमें वह हाथी के ऊपर विराजमान है उनके राजयोग से सभी कार्यों की सिद्धि और सफलता के साथ धन की प्राप्ति का एक दुर्लभ संयोग बन रहा है जोश कई सालों में एक बार आता है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के साथ यह त्यौहार और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है धार्मिक दृष्टि से यह त्यौहार और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। Mudda News की तरफ से एक बार फिर सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
और पढ़ें – <जाने लखनऊ के 2024 के CBSE Topper ने क्या बताया अपनी सफलता का राजh3>
खीर को रात मे चंद्रमा की रोशनी का अमृत पाने के लिए रखा जाता है-
इस दिन सभी के घरों में खीर बनाकर उसे रात के समय चंद्रमा का प्रभाव उसमें पडने के लिए चंद्रमा की रोशनी में रख दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है तो इस अमृत का प्रभाव अपनी खीर में पानी के लिए सभी लोग चंद्रमा की रोशनी में रात भर अपनी खीर को रखते हैं और सुबह प्रसाद के रूप में सभी को प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है की लक्ष्मी जी का वास इस दिन पीपल के पेड़ पर होता है और पीपल का वृक्ष इसीलिए इस दिन इस पर जल चढ़ाया जाता है भोग लगाया जाता है और फिर आरती की जाती इसके बाद पूजा के उपरांत पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना भी शुभ माना जाता है और पीपल पर पूजा के बाद लक्ष्मी जी का ध्यान किया जाता है ऐसा मानते हैं कि इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा करने से धन संपदा की प्राप्ति होती है और लक्ष्मी जी की कृपा भक्तों पर बनी रहती है ।
23 मई को भगवान महात्मा बुद्ध जिनका जन्म इसी दिन हुआ था और उनके जीवन की दो और महत्वपूर्ण घटनाओं के घटित होने की तिथि भी यही दिन है अर्थात 23th मई । इसी दिन महात्मा बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी तथा इसी दिन उन्हें पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इस दिन इनका जन्म दिवस तो है ही तो यह एक अद्भुत संयोग है कि जीवन की तीन घटनाएं जो सबसे विशेष रही वह भी उसी तिथि में घटित हुई जिस दिन इनका जन्म हुआ था महात्मा बुद्ध जी की बहुत बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं आज बन चुकी हैं ,इनसे संबंधित बहुत से बौद्ध मंदिर बनाए गए हैं महात्मा बुद्ध के बहुत से लोग अनुयायी बनाकर एक अलग बौद्ध धर्म के रूप में मनाते हैं इस दिन मंदिरों में दूसरे लोगों को जिनको धन की जरूरत है उनको दान देकर लोग बुद्ध पूर्णिमा के दिन को मनाना सही समझते है इसे बुद्ध जयंती के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
और पढ़ें – जानिए किस दिन मना सकते हैं अपने परिवार के साथ World Family Day
शिव योग और राज योग भी बन रहा है इस दिन –
राजयोग के कारण आप अपनी लक्ष्मी अर्थात आर्थिक रूप से समस्याओं का निवारण पाने के लिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा भी कर सकते हैं और लक्ष्मी जी के ऐसे स्वरूप जिसमें वह मुद्राओं और पैसों की वर्षा कर रही या गज यानी हाथी पर बैठकर भ्रमण कर रही है उनके इस स्वरूप की पूजा अर्चना और पूरे तन्मयता के साथ स्मरण करने पर लक्ष्मी जी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है धन से पूर्ण घर हो जाता है।
और पढ़ें – <दीपक की रोशनी मे पढ़ कर बनी स्टेट टॉपर, प्रियांशीdiv>
23 मई को दिन गुरुवार को दोपहर 12:11 बजे और अगले दिन की मॉर्निंग 11:22 बजे के बीच तक भगवान शंकर का योग यानी शिवयोग रहेगा, इस दिन त्रिग्रह योग भी बन रहा है यानी गुरु, शुक्र और सूर्य तीनों एक ही राशि जिसका नाम है वृषभ उसमें प्रवेश कर रहे है ।
महात्मा बुद्ध जी से जुड़े कुछ तथ्य-
और पढ़ें -</कम स्टूडेंट्स आने पर, टीचर ने क्लास बना डाली स्विमिंग पुल div>
9 thoughts on “बुद्ध पूर्णिमा : चंद्रमा की पूजा ऐसे की तो पूरे साल बनेगे सभी काम, जानें”