दिल्ली हाई कोर्ट: स्कूली किताबें खरीदने में देरी, CM को फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर फटकार लगाते हुए यह आदेश जारी किया है कि बच्चों की पढ़ाई संबंधित जो किताबों को खरीदने में बाधा आ रही थी उसमें अब किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं होगी और एचडी को किताबों के खरीदने का आदेश जारी कर दिया है और उन्होंने यह भी कहा कि इस आदेश का पालन जल से जल किया जाए इसका बजट 5 करोड़ से ऊपर अधिक क्यों ना हो बच्चों का पढ़ाई से संबंधित मामला उनके संवैधानिक अधिकार है।

आप सरकार को हाईकोर्ट की फटकार –

 दिल्ली हाई कोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने एक टिप्पणी करते हुए स्कूलों के बच्चों पर अरविंद केजरीवाल की गैर में मौजूदगी से फर्क नहीं पड़ता कहकर व्यक्त किया इसमें इन्होंने कहा कि एमसीडी स्कूलों के बच्चों के लिए नए सेशन की किताबें लिखने पढ़ने के सामान आदि के खर्च की व्यवस्था करते हुए कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल का सीएम का पद बने रहना उनका निजी फैसला उनकी गैर मौजूदगी स्कूली बच्चों की पढ़ाई में बाधा नहीं बन सकती यह स्कूली बच्चों का संवैधानिक और वैधानिक अधिकार है एमसीडी कमिश्नर पांच करोड़ की सीमा से बातचीत हुई बिना इन जिम्मेदारियां के लिए जरूरी खर्च तुरंत उठेगी और ऐसा आदेश भी दिया गया उठने के लिए खर्च कानूनी ऑडिट पर निर्भर होगा।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी बच्चों की पढ़ाई में बाधा ना बने और उन्होंने यह भी कहा कि सीएम पद पर बने रहना इनका निजी फैसला है यह राष्ट्रहित जनहित दोनों की मांग है इस पद इस पद पर बैठा शख्स अनिश्चितकाल के लिए गैर मौजूद न रहे। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए एमडी आयुक्त को किताबें खरीदने का आदेश दिया उन्होंने कहा भले ही इसका बजट 5 करोड रुपए से अधिक क्यों ना हो इस आदेश का पालन किया जाए।

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कोर्ट ने दिल्ली सरकार की प्रस्तुत तर्कों को अस्वीकार करते हुए कहा कि आचार संहिता के तहत महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की अधिकता नहीं हो सकती। हालांकि, संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को दिन-प्रतिदिन आवश्यक निर्णय लेने की जिम्मेदारी होती है।केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार पर संशय छा गया है। राजधानी के रूप में, यहाँ के सीएम का पद औपचारिकता का बजाय अहमता का प्रतीक है। प्रशासनिक कठिनाइयों के कारण, लगभग दो लाख छात्रों को मौलिक सुविधाओं की कमी महसूस हो रही है, जैसा कि एक आवेदन में उल्लेख किया गया है।

 हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया –

दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार वह के दिल्ली नगर निगम ने अपने स्कूल के बच्चों की किताबों को खरीदने में जो असमर्थता जताई है वह यह दर्शाता है कि अगर अरविंद केजरीवाल अनुपस्थित हैं अपने पद पर तो यह बच्चों की पढ़ाई में रुकावट बन रहा है दिल्ली सरकार बच्चों की पढ़ाई में रुकावट बनने का काम कर रही है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल सामग्री को खरीदने के लिए मस्त के सदन में स्वप्रेरणा का प्रस्ताव पेश करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता और अदालत में यह भी कहा कि जीएनसीटीडी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के विद्वान वकील के द्वारा अन्य संस्थाओं को दोषी ठहरना मगरमच्छ के आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं है।

बच्चों को पढ़ना उनका संवैधानिक अधिकार है –

अदालत ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर फटकार लगाते हुए कहा कि असली मुद्दा शक्ति नियंत्रण क्षेत्र का प्रभुत्व और श्रेया कौन लेता है इस बात का है अन्य सभी बातें कहना व्यर्थ है।

दिल्ली हाई कोर्ट: स्कूली किताबें खरीदने में देरी को लेकर फटकार

 

कोर्ट का कहना है कि यह दलील की इन वैधानिक लबों को प्राप्त करने के लिए अनुबंध को सदन से मंजूरी मिलने का इंतजार करना चाहिए इस मामले की तत्कालिकता के प्रति पूरी तरह से अनदर दर्शाता है और छात्रों की भलाई और उनके वैधानिक और मौलिक अधिकारों के प्रति जीएनसीटीडी और महापौर दोनों की लापरवाही को दर्शाता है अदालत ने अपने बयान में यह भी कहा कि जीएनटी की तत्परता से कार्य करने और मुद्दे की तत्कालिकता पर प्रतिक्रिया देने में असमर्थता एमसीडी स्कूलों में नामांकित छात्रों को की दुर्दशा के प्रति उसकी उदासीनता को दर्शाती है और उक्त छात्रों के मौलिक अधिकारों का जानबूझकर उल्लंघन है।

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