प्राइवेट स्कूलों में बच्चा 3 साल की उम्र में ही प्रवेश लेने लगता है प्री प्राइमरी क्लासेज में और सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी को लेकर कोई अभी भी क्लासेस नहीं शुरू की गई है पुराने आंगनबाड़ी केंद्र हैं जो कि अभी भी हर जगह मौजूद नहीं है और वहां भी 6 साल से कम उम्र का प्रवेश को पहले से ही निषेध किया जा चुका है इसको लेकर सरकार में विचार विमर्श चल रहा है।
और पढे- ये क्या ? गर्मी की छुट्टियों मे बाँट रहे थे मिड डे मील, 34 लोगों को नोटिस : मिड डे मील योजना
प्राइवेट स्कूलों में खुल गए हैं प्री प्राइमरी और सरकारी स्कूलों में सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्र-
बेसिक शिक्षा विभाग में जहां एक तरफ छे साल से कम उम्र में सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने में बढ़ता कर दी है और उसे पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और वहीं निजी स्कूलों में तीन से साढे तीन साल के बच्चे की उनके प्री प्राइमरी क्लासेज में एडमिशन ले रहे हैं और तो इसलिए सरकारी स्कूलों के जो बच्चे हैं वह प्राइवेट स्कूलों से पीछे हो जा रहे हैं और बच्चे शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चक्कर में फंसकर उनसे प्राइवेट स्कूलों से पीछे रहे हैं।
अगर किसी प्राइवेट स्कूल में 3 से 3:30 साल की उम्र में ही कोई बच्चा प्रवेश ले लेगा और लगातार पढ़ता रहेगा तो जाहिर सी बात है कि सरकारी स्कूल का बच्चा प्राइवेट स्कूल की तुलना में तीन से साढे तीन साल के अनुभव और पढ़ाई का एक्सपीरियंस उसको पीछे धकेल देगा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सही से और आरटीआई का सही से नियमों में एक सामान्य नहीं है जिसकी वजह से आज अभिभावकों का बच्चों का और सभी सभी लोगों का रुझान जो है प्राइवेट स्कूलों की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है उनका उनकी इच्छा और उनका जो मत बन रहा है वह प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश लेने का ही बन रहा है राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सही से नियमों का समझना और नियमों की व्याख्या करना नियमों को समुचित रूप से लागू करने हेतु एक गाइड लाइन जारी करना इन सब बातों पर ध्यान न दिए जाने के कारण उम्र की बाध्यता जो है सरकारी स्कूलों के बच्चों के भविष्य को खतरे में डालती हुई नजर आ रही है ।
और पढे-12 May Special Day, जाने डॉक्टरों और नर्सों के लिए क्यों है ये खास दिन ?,अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस
आंकड़ों के मुताबिक सरकारी स्कूलों के प्राथमिक विद्यालयों में आज सभी पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 25 लाख तक लगभग घट चुकी है यह डाटा बहुत चौंकाने वाला है कि सरकारी स्कूलों में रुझान क्यों बच्चों का काम हो गया जबकि सरकार मिड डे मील और उनके ड्रेस जूता मौज कॉपी किताब लेकर सभी चीजों को प्रदान करने का पूरा-पूरा इंतजाम करती है फिर ऐसी कौन सी चीजों में कमी रह गई इसके कारण बच्चों ने एडमिशन कम कर लिए।
प्राइवेट स्कूलों के प्री प्राइमरी और सरकारी स्कूल के आंगनबाड़ी केंद्रों का आमना सामना-
राइट टू एजुकेशन के तहत सभी छोटे-छोटे बच्चों जो 6 से 14 साल तक के हैं उनको शिक्षा की में धारा से जोड़ा जाना है सरकारी स्कूलों में अभी तक का यह तरीका है कि छोटे बच्चों को सीधे आंगनवाड़ी में प्रवेश दिलाया जाता है जबकि आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना हर क्षेत्र में नहीं हो पाई है इसलिए सभी बच्चे इस प्राइवेट स्कूलों के जो प्री प्राइमरी क्लासेज खुल गई हैं उनमें प्रवेश लेने के लिए आगे बढ़ते हैं अगर प्राइवेट स्कूलों की इन प्री प्राइमरी क्लासेज में बच्चे एडमिशन ले लेंगे तो फिर सरकारी स्कूलों की ओर उनका रुझान कम हो जाएगा और फिर बाद में आंगनबाड़ी में वह प्रवेश क्यों लेंगे इस पर सरकार को विचार विमर्श कर रही है ।
और पढे-स्कूल मे अब से टीचर मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं कर सकेंगे, आदेश जारी
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुधांशु मोहन जी से बातचीत के दौरान यह बयान सामने आया है कि प्राइवेट स्कूलों और जो सरकार सरकारी स्कूलों के प्राथमिक प्राथमिक क्लासेस हैं उनमें एकरूपता प्रवेश को लेकर नहीं है प्रवेश एक जैसे तरीके से नहीं होते हैं प्राइवेट स्कूलों में उन्होंने बताया कि साढे तीन साल में ही बच्चे प्रवेश करना शुरू कर देते हैं ऐसा उन्होंने अपनी मैनेजमेंट बना कर रखा है और जबकि सरकारी स्कूलों में बच्चा 6 वर्ष की आयु के बाद एडमिशन ले सकता है वह भी आंगनबाड़ी केदो में तो प्राइवेट स्कूलों की तरफ ही सभी बच्चों और अभिभावकों का रुझान रहेगा तो सरकारी स्कूलों की तरफ उनकी जो बढ़ाने की या उसमें पढ़ने की इच्छा जो है कैसे जागृत हो पाएगी और सरकारी स्कूलों में प्रवेश भी काम हो जाएंगे इसलिए आरटीआई का जो उद्देश्य है वह भी कंप्लीट नहीं हो पाएगा इन सब बातों पर विचार विमर्श किया जा रहा है इसलिए जो सरकारी स्कूल है और बेसिक बेसिक शिक्षा के स्कूल हैं उनमें नर्सरी और क को शुरू करने को लेकर भी मत बन रहे हैं ताकि सरकार प्राइवेट स्कूलों और सरकारी स्कूलों में प्रवेश को लेकर एकरूपता की जा सके।
और पढे-अब सरकारी स्कूल मे भी चलेंगी नर्सरी क्लास, नई पहल
9 thoughts on “नए नियमों से सरकारी स्कूल का बच्चा प्राइवेट स्कूल से हो जाएगा 3 साल पीछे”