रिजल्ट जारी होने के बाद 7छात्रों ने की आत्महत्या ,छा गया मातम :तेलंगाना

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट दिखाती है कि तेलंगाना में आत्महत्या करने वाले छात्रों में से अधिकांश साइंस स्ट्रीम के थे। बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट जारी होते ही कई छात्रों ने खुदकुशी कर लिया और यह गंभीर मामला सामने आया है जिसमें सरकार को सचेत रूप से कदम उठाने चाहिए और इसकी बारीक जांच करवानी चाहिए।

एक के बाद एक अलग अलग जगहों पर हुई खुदकुशी –

एक मामले में मेदक जिले से आया, जहां एक छात्र दूसरी बार केमिस्ट्री के परीक्षा में असफल रहा। खम्मम में एक छात्र PCM सब्जेक्ट में गणित के परीक्षा में असफल रहा। कोलूर में एक 17 साल का छात्र ने अपनी जान गंवा दी। राजेंद्रनगर में एक 16 साल का छात्र आत्महत्या करने का मामला सामने आया, जिसने कुछ साल पहले अपनी मां को खो दिया था। महबूबाबाद में एक 12वीं क्लास की छात्रा कॉमर्स सब्जेक्ट में परीक्षा में असफल रही। हाल ही में JEE मेन की परीक्षा के परिणाम भी आए हैं, जिसमें तेलंगाना से सबसे ज्यादा टॉपर निकले हैं। 56 छात्रों में से 15 तेलंगाना के थे, जो 100 फीसदी अंक प्राप्त किए थे। पिछले तीन सालों से ही राज्य से सबसे अधिक JEE मेन के टॉपर निकले हैं।
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गंभीर है ये मुद्दा –

छात्रों की मानसिक स्थिति को लेकर हमें गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है। इस दुःखद घटना को देखते हुए, हमें छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को समझने और उन्हें आत्महत्या के प्रति जागरूक करने के लिए सक्रिय उपाय करने की आवश्यकता है। शिक्षा प्रणाली को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा के साथ मजबूत करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि छात्रों को उनकी सामाजिक, आत्मिक और शैक्षिक जरूरतों के लिए सही संसाधन और समर्थन मिल सके।

इस समय में जब हम इस आत्महत्या के मामले की बात कर रहे हैं, हमें इसे समझने और उसके मूल कारणों को गहराई से समझने की जरूरत है। यह स्थिति सिर्फ एक शिक्षा संस्थान के रिजल्ट्स या शैक्षिक दबाव के कारण ही नहीं है, बल्कि यह एक अधिक गंभीर मानसिक समस्या का परिणाम है। छात्रों की भावनात्मक और मानसिक स्थिति को समझने के लिए हमें उनकी प्रतिभाओं को देखकर ही नहीं, बल्कि उनके आत्म-स्वीकृति, आत्म-संज्ञान, और सामाजिक समर्थन की भी देखभाल करनी चाहिए। शिक्षा प्रणाली को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की और से मजबूत करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। छात्रों को समर्थन और गाइडेंस प्रदान करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें इस बात का महत्व बताया जाना चाहिए कि वे अपने विफलताओं के बावजूद अपने मन को मजबूत और सकारात्मक बना सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना है जरूरी-

इस संकट के समय में हमें विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके सामाजिक संबंधों की प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि हम सभी एक सकारात्मक और सहानुभूति भरे समाज की ओर बढ़ें। यह घटनाएं हमें बताती हैं कि हमारी शिक्षा प्रणाली में सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देने की जरूरत है। छात्रों के इस बड़े आंकड़े को देखकर हमें उनके अध्ययन दबाव को कम करने, और उन्हें आत्म-संज्ञान और सामाजिक समर्थन के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसके लिए, हमें छात्रों को उनके रुझानों और आवश्यकताओं के अनुसार सहायता प्रदान करने, उन्हें नए संभावित रास्तों की ओर प्रेरित करने, और उनका समर्थन करने की आवश्यकता है। यह समय हमें यह सिखाता है कि शिक्षा का अर्थ केवल अकादमिक सफलता नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत समृद्धि और समाज में समाहित जीवन की ओर भी जुड़ा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट-

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट दिखाती है कि तेलंगाना में आत्महत्या करने वाले छात्रों में से अधिकांश साइंस स्ट्रीम के थे। एक मामले में मेदक जिले से आया, जहां एक छात्र दूसरी बार केमिस्ट्री के परीक्षा में असफल रहा। खम्मम में एक छात्र PCM सब्जेक्ट में गणित के परीक्षा में असफल रहा। कोलूर में एक 17 साल का छात्र ने अपनी जान गंवा दी। राजेंद्रनगर में एक 16 साल का छात्र आत्महत्या करने का मामला सामने आया, जिसने कुछ साल पहले अपनी मां को खो दिया था। महबूबाबाद में एक 12वीं क्लास की छात्रा कॉमर्स सब्जेक्ट में परीक्षा में असफल रही। हाल ही में JEE मेन की परीक्षा के परिणाम भी आए हैं, जिसमें तेलंगाना से सबसे ज्यादा टॉपर निकले हैं। 56 छात्रों में से 15 तेलंगाना के थे, जो 100 फीसदी अंक प्राप्त किए थे। पिछले तीन सालों से ही राज्य से सबसे अधिक JEE मेन के टॉपर निकले हैं।

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