उत्तराखंड राज्य में दसवीं की बोर्ड परीक्षा में टॉपर प्रियांशी ने टॉप कर अपने प्रदेश का नाम रोशन किया है इनकी मार्कशीट में 500 में 500 मार्क्स मिले है तो इस रिजल्ट को देखकर चारों तरफ माहौल खुशियों का माहौल है।
प्रियांशी ने पूरे राज्य में टॉप किया-
उत्तराखंड बोर्ड के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के रिजल्ट जारी कर दिए गए हैं और जिसमें लड़कियों ने लड़कों से बेहतर परफॉर्मेंस किया है और इंटरमीडिएट के कुल 82.63% बच्चे पास हुए हैं और जिसमें उत्तीर्ण का प्रतिशत 78.97% है इसमें दसवीं की पिथौरागढ़ की रहने वाली छात्रा प्रियांशी ने पूरे राज्य में टॉप किया है 500 में से 500 नंबर हासिल किया प्रियांशी ने जब मार्कशीट देखी तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और खुशियां ,बधाइयां लगातार मिलती रहे।
13 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल मे पढ़ने जाती है प्रियांशी –
उनके पिताजी एक ट्रक चालक है जो ट्रक चला कर मेहनत से प्रियांशी को पढ़ाते हैं और प्रियांशी खुद 13 किलोमीटर दूर स्थित जीआईसी स्कैनिया में पढ़ने जाती प्रियांशी के सफलता को लेकर पूरा उत्तराखंड खुशी से झूम रहा है, आर्थिक स्थिति बहुत बिगड़ी हुई है अभी तक उनके घर पर बिजली का कनेक्शन नहीं है उन्होंने जितनी भी पढ़ाई की सब दीपक की रोशनी में लैंप की रोशनी में की।
बताया की खुद के प्रति ईमानदार रहे-
टॉपर प्रियांशी से बातचीत के दौरान यह पता चला कि उनके पिताजी एक व्यवसाय है और उनकी मां एक विद्यालय में शिक्षिका के तौर पर पड़ता और उन्होंने अपने जीवन के लक्ष्य के बारे में बताया कि भी फ्यूचर में वह भारतीय वायु सेवा में एक ऑफिसर बनना चाहती इसके अलावा टॉपर प्रियांशी का कहना है वह सभी बच्चे जो पढ़ाई फोकस होकर करते हैं उनको कामयाबी मिल जाएगी निश्चित रूप से ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप किताब खोलकर 1 घंटे तक बैठे रहो और 1 घंटे के बाद आप कुछ ना सीखो कुछ न हासिल हो आपको तो आपको अपने आप से सच बोलना है खुद के प्रति ईमानदार रहना है।
माँ थी अंग्रेजी शिक्षिका जिनका मिल पूरा साथ-
प्रियांशी रावत जो की पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली है उनसे जब उनसे सफलता का राज पूछा गया तो उन्होंने यह कहा कि उन्होंने पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाया और उनकी अंग्रेजी शिक्षिका की मां उनका पूरा साथ देने में आगे रही और उनके परिवार के सभी सदस्यों ने उनकी पढ़ाई में पूरा समर्थन दिया पूरा साथ दिया और शिक्षिका होने के कारण मन से भी इन्हें पूरा मार्गदर्शन मिला इन्होंने अब किसी भी प्रकार के प्रसार को अपने ऊपर हासिल नहीं होने दिया पूरे टाइम टेबल के दौरान इन्होंने पढ़ाई को तीन से चार घंटे का समय प्रतिदिन देने का लक्ष्य बनाया था।
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10 thoughts on “दीपक की रोशनी मे पढ़ कर बनी स्टेट टॉपर, प्रियांशी”